आज की डिजिटल दुनिया में ज्यादातर लोग मानसिक और इमोसनल समस्याओं और मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। लेकिन हमें समझने की जरूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी बीमारियां और समस्याएं भी शारीरिक बीमारी या समस्या कि तरह ही महत्वपूर्ण हैं। आमतौर पर यह माना जाता है कि शारीरिक चोट जैसे लाठी और पत्थर आपकी हड्डियों को तोड़ सकते हैं, लेकिन शब्द आपको चोट नहीं पहुंचा सकते।
बहुत से लोग हैं जो इस बात पर विश्वास करते हैं। लेकिन विज्ञान इसे स्वीकार नहीं करता। शारीरिक शोषण या चोट को आप देख सकते हैं, लेकिन मानसिक या इमोसनल शोषण को आँखों से नहीं देखा जा सकता. इमोशनल अब्यूज या भावनात्मक शोषण हवा की तरह है, हम इसे देख नहीं सकते। लेकिन यह खतरनाक और जानलेवा भी हो सकता है।
भावनात्मक शोषण आपके मस्तिष्क की संरचना को नुकसान पहुंचा सकता है। लगातार भावनात्मक शोषण के शिकार लोगों में हिप्पोकैम्पस सिकुड़ जाता है। हिप्पोकैम्पस मस्तिष्क का एक भाग है, जो किसी भी चीज को सीखने के लिए महत्वपूर्ण है। हिप्पोकैम्पस अल्पकालिक स्मृति(शार्ट टर्म मेमोरी) और सीखने दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। मस्तिष्क की प्रत्येक जानकारी को स्थायी स्मृति में बदलने या हटाने से पहले इसे शार्ट टर्म मेमोरी में संग्रहीत किया जाता है। शार्ट टर्म मेमोरी के बिना इंसान कुछ भी नहीं सीख सकता.
इमोसनल अब्यूज से हुए हिप्पोकैम्पस के नुकसान को शोधकर्ताओं ने बहुत ज्यादा चिंता जनक बताया है। जब आप डिप्रेसन या तनावग्रस्त होते हैं, तो आपका शरीर कोर्टिसोल नामक एक स्ट्रेस हार्मोन रिलीज करता है। एक शोध के अनुसार कोर्टिसोल हिप्पोकैम्पस में न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है, जिससे यह आकार में सिकुड़ जाता है। नतीजतन, आप जितना अधिक तनावग्रस्त होते हैं, उतना ही अधिक कोर्टिसोल निकलता है और हिप्पोकैम्पस सिकुड़ता है।
अमिगडाला मस्तिष्क का दूसरा भाग है जिसको इमोसनल अब्यूज से नुकसान पहुँचता है। इमोसनल अब्यूज के शिकार लोगों को हर समय चिंतित और भयभीत देखा जा सकता है। यह लंबे समय तक इमोसनल अब्यूज के कारण उनके अमिगडाला में हुए सूजन के कारण होता है। आपकी श्वसन और हृदय गति भी मस्तिष्क के इसी भाग द्वारा नियंत्रित होती है। यह आपका भावनात्मक नियंत्रण केंद्र (इमोसनल कण्ट्रोल सेण्टर) भी है, जो यह तय करता है कि आप प्यार, वासना, नफरत और भय जैसी भावनाओं से कैसे निपटते हैं। जब किसी व्यक्ति को भावनात्मक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो उनका अमिगडाला हमेशा हाई अलर्ट पर रहता है और छोटी से छोटी इमोसनल अब्यूज कि घटनाओ पर भी प्रतिक्रिया करता है।
नतीजतन, पीड़ित हमेशा फाइट या फ्लाइट मोड में होते हैं। यही कारण है कि कुछ लोगों को टॉक्सिक रिलेशनशिप को छोड़ना मुश्किल लगता है। किसी को शर्मिंदा करना, मजाक उड़ाना, बुली करना, और बेवजह किसी पर चिल्लाना मस्तिष्क के लिए उतना ही हानिकारक है जितना कि कोई शारीरिक चोट या शोषण. खासकर बच्चों के लिए जिनका दिमाग विकसित हो रहा है.
शोधकर्ताओं ने कुछ युवा, स्वस्थ लोगों में मस्तिष्क के दाएं और बाएं भागों के बीच संबंध के नुकसान के बारे में शोध किया. जिन लोगों को बचपन या किशोर अवस्था में बुली किया गया था, या जो लोग इमोसनल अब्यूज का शिकार हुए, उनके मस्तिष्क दाएं और बाएं भाग एक दूसरे से संपर्क बनाने में असफल थे. ये जीवन में बाद में एंजाइटी, डिप्रेसन, क्रोध, शत्रुता, और नशीली दवाओं पर निर्भरता की संभावना को बढ़ाती है। इमोसनल रूप से प्रताड़ित होने पर व्यक्ति का मस्तिष्क सर्वाइवल मोड में चला जाता है।
और फिर ओवरलोड से बचने के लिए, मस्तिष्क ज्यादा मात्रा में स्ट्रेस, तनाव और दर्द को पुन: व्यवस्थित करके अपनी रक्षा करने की कोशिश करता है। जिन लोगों को भावनात्मक रूप से दुर्व्यवहार किया गया है, उनके मस्तिष्क के उन भागों को नुकसान पहुँचता है, जो चीजों को समझने और सामन्य व्यव्हार करने का कार्य करते हैं.
परिणामस्वरूप, कोई खतरा या संकटपूर्ण परिस्थिति नहीं होने के बाद भी व्यक्ति ठीक तरीके से प्रतिक्रिया करने में असमर्थ होते हैं। जो लोग अब्यूसिव रिलेशनशिप में होते हैं वे हर समय शारीरिक और भावनात्मक रूप से थके हुए होते है। क्योंकि उनका मस्तिष्क लगातार सतर्क रहता है, उनकी सारी ऊर्जा खर्च हो जाती है, विज्ञान बताता है कि जिस तरह से हम भावनात्मक स्तर पर एक-दूसरे के साथ व्यवहार करते हैं, उसका प्रभाव शारीरिक चोट से भी गहरा और लम्बे समय तक हो सकता है.
अगली बार किसी को भी इमोसनल या भावनात्मक चोट पहुँचाने से पहले एक बार सोंचे. आपका व्यव्हार किसी के जीवन को बना या बिगाड़ सकता है.