आज की ज़िन्दगी में हर व्यक्ति व्यस्त है. व्यस्तता इतनी है की हम खुद का खयाल नहीं रख पाते. मानसिक शांति नहीं मिल रही। जिसकी वजह से कई तरह की मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या हो जाती है. आज हम मानसिक स्वास्थ एक समस्या बायपोलर के डिसऑर्डर के बारे में बात करेंगे.
क्या है बायपोलर डिसऑर्डर
बायपोलर डिसऑर्डर (Bipolar Disorder) एक मानसिक बीमारी है। इसमें किसी व्यक्ति का अपने मूड पर नियंत्रण नहीं रहता और तेजी से मूड स्विंग्स (mood swings) होते हैं। व्यक्ति कुछ देर में खुश होने लगता है, तो थोड़ी देर बाद ही मन दुखी हो जाता है।
खुश और दुख दोनों ही स्थितियों में व्यक्ति का मूड बदलता रहता है। उदासी के दौर में नकारात्मक ख्याल आते हैं। पुरुषों के अलावा यह बीमारी महिलाओं को भी हो सकती है। एक रिसर्च के मुताबिक 100 में से 1 व्यक्ति को इससे दो-चार होना पड़ता है।
बायपोलर डिसआर्डर का कारण
बायपोलर डिसऑर्डर का कारण क्या है। इसका अभी तक कोई स्पष्ट कारण तो नहीं है। लेकिन रिसर्च की मानें तो इसकी कुछ वजह इस प्रकार हैं-
1. अनुवांशिक कारण
बायपोलर डिसऑर्डर के बड़े कारणों में अनुवांशिक कारणों को माना जाता है। अगर परिवार में कोई पहले से इस समस्या से ग्रस्त है, तो आने वाली पीढ़ी में इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है।
2. बायोलॉजिकल भिन्नताएं
मस्तिष्क में होने वाले भौतिक बदलाव बायपोलर डिसऑर्डर के लिए जिम्मेदार होते हैं। अभी तक की रिसर्च में इन बदलावों की कोई महत्वपूर्ण जानकारी नहीं है। इसलिए इसके कारणों की खोज जारी है।
बायपोलर डिसऑर्डर के लक्षण
बायपोलर डिसऑर्डर का कोई निश्चित लक्षण नहीं होता। इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। इसके लक्षण समय-समय पर बदलते भी रहते हैं। कुछ मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं।
हाइपरटेंशन होना।
अत्यधिक ऊर्जा या हाइपर एक्टिव होना।
असामान्य रूप से चिड़चिड़ापन महसूस होना।
अत्यधिक खुश और अति आत्मविश्वास में होना।
नींद न आना।
ज्यादा बात या बहुत कम बात करना।
बैचेनी महसूस करना।
दिमाग में कुछ न कुछ चलते रहना।
हमेशा अनिर्णय की स्थिति रहना।
वजन बढ़ना या तेजी से घटना।
भूख में कमी होना।
बायपोलर डिसऑर्डर का उपचार
बायपोलर डिसऑर्डर के उपचार में सबसे पहले जरूरी है अच्छे मनोचिकित्सक से जांच कराना। हालांकि बायपोलर डिसऑर्डर का कोई नियत उपचार नहीं है। लेकिन इसे कई चरणों में बांटा जा सकता है।
1. मनोदशा को पकड़ना
बायपोलर डिसऑर्डर के उपचार में व्यक्ति का मूड कैसा है, इसका खासतौर पर ध्यान रखा जाता है। मूड कब खराब हो रहा है या दिमाग में किस तरह के ख्याल आ रहे हैं इसका सही परीक्षण जरूरी है।
यही वजह है कि मनोचिकित्सक इसका पूरा रिकार्ड रखते हैं। मूड का रिकार्ड रखने से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि दिमाग कब स्थिर रहता है और कब बिगड़ता है।
2. शारीरिक परीक्षण
लक्षणों से बायपोलर डिसऑर्डर का पता चलने के बाद कई तरह के शारीरिक परीक्षण और जांच की जाती हैं। इसमें लैब में होने वाले टेस्ट भी शामिल हैं।
3. मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग
बायपोलर डिसऑर्डर में काउंसलिंग उपचार का एक अहम हिस्सा है। इसमें साइकोलॉजिस्ट मरीज की काउंसलिंग करता है। इस दौरान वह यह जानने की कोशिश करता है कि रोगी के मन की स्थिति ऐसी क्यों है।
काउंसलिंग के साथ-साथ मूल्यांकन के लिए प्रश्नावली (questionnaire) से भी मनोदशा की पड़ताल की जाती है। ये प्रश्नावली स्वयं मरीज के लिए भी हो सकती है या फिर उनके करीबियों के लिए भी। मूलत: इसका उद्देश्य मरीज को गहराई से जानना है।
4. दवाइयों से उपचार
बायपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति का दवाओं से भी उपचार किया जाता है। कभी-कभी इन दवाओं का सेवन ताउम्र भी करना पड़ता है, चाहे मरीज कुछ समय बाद बेहतर ही क्यों न महसूस कर रहा हो।
डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर में अंतर (difference between depression and bipolar disorder)
कई बार लोग डिप्रेशन और बायपोलर डिसऑर्डर को एक ही समझ लेते हैं, जबकि ऐसा नहीं है। लेकिन इससे पूरी तरह इंकार भी नहीं किया जा सकता कि दोनों के बीच संबंध है।
बायपोलर की तरह डिप्रेशन में भी अत्यधिक दुखी या खुश होना, मन में सकारात्मक बातों की कमी होना, ऊर्जा और इच्छा में कमी, नींद न आना जैसे लक्षण सामने आते हैं।
जब ये सभी चीजें एक लिमिट को पार कर एग्रेशन (aggration) की स्थिति में आ जाए, तो यह बायपोलर डिसआर्डर में बदल जाता है।
ऐसा कहा सकते हैं कि डिप्रेशन बायपोलर डिसऑर्डर से पहले की स्थिति है। दूसरी स्थिति में जब मन में नकारात्मक भाव जैसे आत्महत्या या हिंसा का ख्याल आए तो यह स्थिति बायपोलर डिसऑर्डर की होती है।
बायपोलर डिसऑर्डर में ठीक होने की संभावना
सकारात्मक सोच
तनाव न लें
नशीली चीजों से परहेज करें
नियमित व्यायाम
नकारात्मक चीजों से दूरी
इन चीजों को अपनी लाइफ स्टाइल में अपनाकर बायपोल डिसऑर्डर से काफी हद तक आराम मिल सकता है।
सार
बायपोलर से दुनिया भर में कई लोग संघर्ष कर रहे हैं. इससे बेहतर उपाय है, अपनी दिनचर्या में स्वस्थ व सकारात्मक बदलाव लाना. समय पर सोना, जागना, पौष्टिक खाना खाना, व्यायाम करना. ऐसे ही अच्छी आदतों को अपना आप खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकतें है. फिर भी यदि आपको को चिंता या अन्य कोई मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो जरूर किसी मानसिक स्वस्थ चिकित्सक से संपर्क करें, या फिर हेल्पलाइन नंबर पर फ़ोन करें.