रमेश एक टेक्सटाइल कम्पनी में नौकरी करता है. रमेश का काम है रोज होने वाले प्रोडक्शन के डाटा को कंप्यूटर में फीड करना, जिसे वो हर हफ्ते गुरुवार को अपने सीनियर अधिकारी को भेजता है. लेकिन रमेश सोंचता कि उसे गुरुवार को डाटा भेजना है इसलिए वो रोज डाटा फीड करने वाले काम को टाल देता है. और पूरे हफ्ते आराम से काम करता है और फिर मंगलवार से पूरे हफ्ते का डाटा कंप्यूटर में फीड करना शुरू करता है.
लेकिन अक्सर ये होता है कि रोज डाटा फीड न करने कि वजह से उसके पास ज्यादा काम रहता है, और साथ ही कई बार डाटा की गलतियों का मिलान भी ठीक से नहीं कर पाता. जिस कारण रमेश सीनियर अधिकारी को समय पर डाटा नहीं भेज जाता. समय पर डाटा न दे पाने पर अक्सर रमेश को सीनियर अधिकारी से डाँट खानी पड़ती है. ये सब होने के बाद भी रमेश अपने काम टालने की आदत नहीं छोड़ता, जब उसे डांट पड़ती है तब वो सोंचता है कि वो अगली बार से रोज डाटा फीड करेगा लेकिन अगले दिन से फिर अपनी पुरानी आदत के अनुसार काम करता है. [केस स्टडी]
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क्यों पड़ती है काम टालने की आदत ?
रमेश के जैसे और भी बहुत से लोग हैं जिन्हे काम टालने की आदत है. कई व्यक्तियों को परिणाम से डर भी लगता है और वे निर्णय लेने के बजाय निर्णय लेने की झंझट को टाल देना बेहतर समझते हैं.
इसके अलावा चीज़ों को टालमटोल करने वाले व्यक्ति की खास बात यह होती है की वह अंतिम समय काम को पूरा करता है, जिससे उसे लगता है की वो हार्डवर्किंग और प्रोडक्टिव है. लेकिन होता इसका बिलकुल उल्टा है, डेडलाइन से ठीक पहले काम शुरू करने पर मानसिक स्ट्रेस बढ़ जाता है, जिससे नींद और एकाग्रता में भी समस्या हो सकती है.
क्या है मनोवैज्ञानिक राय
सामन्य तौर पर आप और हम कह सकतें है कि काम टालने वाला व्यक्ति आलसी है. समाज में अक्सर ऐसे लोगों को “कामचोर” कह कर सम्बोधित किया जाता है. लेकिन अब ये माना जाने लगा है कि (Procrastination) काम टालने की आदत के पीछे कि वजह सिर्फ आलस नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य से जुडी समस्या हो सकती है.
रिसर्च ने दिखाया है कि काम रोक देने वाले लोगों में अवसाद और बेचैनी की समस्या होने की आशंका अधिक रहती है. 2014 के एक अध्ययन से पता चला था कि ADHD डिसऑर्डर के शिकार छात्र ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते और उनमें काम टालने व शिथिलता (Procrastination) होने की आशंका अधिक रहती है.
क्या आपको भी काम टालने की आदत
काम टालने वाले व्यक्तियों पता होता है कि वे काम टालते हैं. लेकिन कई बार लोगों को पता नहीं चलता कि उनमे काम टालने कि आदत है. नीचे दिए गए प्रश्नो को पढ़िए और यदि आपका उत्तर हाँ है तो इसका मतलब आपके अंदर काम टालने कि आदत है.
यह जानना बहुत ही आवश्यक है की आपके अंदर भी किसी कार्य को टालमटोल करने की आदत है कि नहीं क्योकि जिस तरह किसी रोग के उपचार के लिए रोग को समझना आवश्यक है उसी प्रकार टालमटोल पर विजय प्राप्त करने के लिए अपने रोजाना की दिनचर्या को समझना अति आवश्यक है।
निचे दिए प्रश्नों का उत्तर आप (हाँ, नहीं, पता नहीं) में दें –
क्या आप कोई भी कार्य करने से पहले असफलता के नतीजे को सोचकर डरते है?
आप किसी कार्य के बारें में यह सोचते है की यह बहुत जरुरी काम है इसलिए इसे सोंच समझ कर, ध्यान और लगन से करना चाहिए।
क्या आप किसी कार्य को सिर्फ इसलिए टाल देते हैं क्योकि आपको उस कार्य के परिणामों से सामना करना पड़ेगा।
क्या आप कोई भी कार्य को एक निश्चित Time Table पर पूरा करने के लिए Plan बनाते हैं।
क्या आप अगर जरुरत पड़ता है तो सिर्फ काम चलाऊ काम करेंगे या फिर कोई ऐसा काम ठान लेंगें और उसे किये बिना चैन की सांस नहीं लेंगें।
क्या आपको ऐसा लगता है की आप किसी दबाव या किसी प्रकार की तनाव में बेहतर कार्य कर सकते हैं।
इन प्रश्नो का उत्तर देकर आप पता लगा सकते हैं की कभी-कभी टालमटोल जरुरी है. परन्तु यह स्वभाव का हिस्सा बन जाये तब यह असफलता का भी कारण बन जायेगा.
इन तरीकों को अपनाकर छोडे काम टालने की आदत
आपका ध्यान असफलता पर अधिक रहता है और आपको असफल होना किसी भी हाल में स्वीकार नहीं है, आप चीजों के बारे में जरुरत से ज्यादा सोचते हैं आप अपने खुद के भरोसे पर कुछ नहीं करते आपको कोई सलाह दें तब आप कुछ करें, इन सब को सोंचकर आप कुछ कर नहीं पाते हैं।
आप हमेसा फेलियर से ना डरें सफलता असफलता आंकना बाद की प्रक्रिया है पहले अपने कार्य को करने की कोसिस तो करें।
जब भी मन में दुविधा हो तो यह बात याद रखें कि जीवन में जितना दुःख फेलियर या असफलता से नहीं होता, उससे कही ज्यादा दुःख कार्य को करने की कोसिस ही नहीं करने से होता है।
आप Time Table बनायें और उसके हिसाब से काम करने की कोसिस करें, उसके बाद भी जब समय बच जाये तो वह कार्य करें जिसे आप छोड़ दिए थे अपने जरुरी काम को पूरा करने के चक्कर में।
क्या करें क्या ना करें में उलझे रहने वाले व्यक्ति
ऐसे लोग निर्णय ही नहीं लेते, ऐसे व्यक्ति सिर्फ इसलिए कार्य नहीं करते क्योकि ये कार्य में कोई समझौता करना नहीं चाहते ये चाहते है की हम Best से Best Result दें।
इस सोंच में जब तक उस कार्य को करने में कुशल ना हो जाये पारंगत हाशिल ना कर लें तब तक उस कार्य को हाँथ ही नहीं लगाएंगे, और इस चक्कर में वे कार्य को टालना बेहतर समझते हैं, फिर तो गलत करने का सवाल ही पैदा नहीं होता।
ऐसे मिलेगा मोटिवेशन
आप अपने कामों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बाट लें इससे आपका काम आसान हो जायेगा।
हमेसा कम्फर्ट जोन में रहना सही नहीं है, थोड़ा रिस्क तो लेना ही चाहिए, इसका एक अलग ही मज़ा है।
आप किसी कार्य को Best करना चाहते हैं अपने काम में 100% Result देना यह सही बात है पर अगर इस चक्कर में की कोई गलती ना हो जाये मै कोशिश ही नहीं करूँगा, जब पूरी तरह से कुशल हो जाऊंगा तभी करूँगा, यह सोंचना भी तो गलत है क्योकि हमें कोशिश करते रहना चाहिए तभी तो हम सीख पाएंगे और 100% Result दे पाएंगे।
सार
जीवन में काम टालने से बचे, अगर आप किसी कार्य की शुरुआत करते है तो मेहनत और प्रयास से वह कार्य खुद बेहतर हो जायेगा। और अक्सर अगर कल के चक्कर में आप किसी काम को छोड़ देते है तो समय निकल जाने के बाद उस कार्य को पूरा करने का कोई मतलब भी नहीं निकलता, इसलिए कभी-कभी काम को टाल देना तो ठीक है लेकिन इसे आप अपनी आदत बनाने से बचें.