भारत सहित कई और देशो में 10 अप्रैल को हर साल वर्ल्ड होम्योपैथी डे मनाया जाता है! इस दिन को होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. सैमुअल हैनिमैन की जयंती के रूप में भी जाना जाता है। होम्योपैथी दवाओं पर आज पूरी दुनिया में लोग पर भरोसा कर रहे हैं और उसके जरिए अपनी सेहत संबंधी समस्याओं का उपचार करवा रहे हैं। वर्ल्ड होम्योपैथी डे के अवसर पर 9 अप्रैल को NHMC की छात्रा डॉक्टर इति मिश्रा ने निशुल्क कैम्प का आयोजन लखनऊ में किया! इस अवसर पर करीब 100 लोगों ने स्वास्थ्य परिक्षण कराया और औषधि प्राप्त की! डॉ सैम्यूल हानेमान छद्म-वैज्ञानिक होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता थे।
एम0डी0 डिग्री प्राप्त एलोपैथी चिकित्सा विज्ञान के ज्ञाता थे। डॉ॰ हैनिमैन, एलोपैथी के चिकित्सक होनें के साथ साथ कई यूरोपियन भाषाओं के ज्ञाता थे। वे केमिस्ट्री और रसायन विज्ञान के निष्णात थे। जीवकोपार्जन के लिये चिकित्सा और रसायन विज्ञान का कार्य करनें के साथ साथ वे अंग्रेजी भाषा के ग्रंथों का अनुवाद जर्मन और अन्य भाषाओं में करते थे हैनिमेन की अति सूच्छ्म द्रष्टि और ज्ञानेन्द्रियों नें यह निष्कर्ष निकाला कि और अधिक औषधियो को इसी तरह परीक्षण करके परखा जाय। इस प्रकार से किये गये परीक्षणों और अपने अनुभवों को हैनिमेन नें तत्कालीन मेडिकल पत्रिकाओं में ‘’ मेडिसिन आंफ एक्सपीरियन्सेस ’’ शीर्षक से लेख लिखकर प्रकाशित कराया।
इसे होम्योपैथी के अवतरण का प्रारम्भिक स्वरूप कहा जाता है।आज के वक्त में होम्योपैथी एक सुरक्षित और प्रभावी उपचार है. इसमें किसी भी प्रकार के ड्रग रिएक्शन नहीं पाए गए हैं. होम्योपैथी मोटापे, एलर्जी, बालों के झड़ने, चिंता, अवसाद, गठिया, मधुमेह, पुराने दर्द और दर्द सहित कई बीमारियों के इलाज के लिए सुरक्षित माना गया है! लोगो की तरफ से भी प्रभावी उपचार के लिए होम्योपैथी का उपयोग होने लगा है!निशुल्क शिविर के माध्यम से डॉ इति मिश्रा और उनके साथियों ने होम्योपैथिक क्यों जरूरी है यह भी लोगो को बताया और साथ साथ निशुल्क औषधि वितरण का भी इंतजाम किया गया! डॉ मिश्रा कहती हैं कि होम्योपैथी बड़ी ही कारगर विधा है जिसमें बड़े से बड़े रोगों का इलाज होता है!