IITF 2025 में मानसिक स्वास्थ्य पवेलियन बना आकर्षण का केंद्र, जागरूकता की नई लहर महसूस की गई
संतोष कुमार
नई दिल्ली: इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) 2025 में जहाँ तकनीकी नवाचार और व्यापारिक स्टॉल हमेशा की तरह भीड़ खींच रहे थे, वहीं इस बार एक ऐसा सेक्शन था जिसने लोगों को रुककर सोचने पर मजबूर किया, मानसिक स्वास्थ्य पवेलियन। इस साल, यह पवेलियन केवल जानकारी का एक कोना नहीं रहा, बल्कि एक ऐसी जगह बना जहाँ आगंतुकों ने खुद से जुड़ी अनकही बातों को समझने का प्रयास किया।
यह बदलाव सिर्फ प्रदर्शनी का हिस्सा नहीं, बल्कि भारत में मानसिक स्वास्थ्य की बढ़ती जागरूकता का संकेत है। इसी माहौल को महसूस करते हुए मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता प्लेटफ़ॉर्म Healthy Knots के संस्थापक संतोष कुमार ने भी इस पवेलियन को “मेले का सबसे अर्थपूर्ण हिस्सा” बताया। संतोष, जो पूरे भारत में Suno Na पहल और ग्रामीण यात्राओं के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य संवाद को ज़मीनी स्तर तक ले जा रहे हैं, कहते हैं, “यहाँ पहली बार लगा कि मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत अब वास्तविक रूप से जनता तक पहुँच रही है।”
मानसिक स्वास्थ्य क्या है?
मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ बीमारी न होना नहीं है।
यह हमारे सोचने, महसूस करने, निर्णय लेने और जीवन को समझने की क्षमता से जुड़ा संपूर्ण स्वास्थ्य है।
जिस तरह शारीरिक स्वास्थ्य रोज़मर्रा के कामों के लिए ज़रूरी है, उसी तरह मानसिक स्वास्थ्य जीवन की हर परिस्थिति से जूझने की शक्ति देता है।
मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण क्यों है?
– यह हमारे संबंधों, काम, पढ़ाई, व्यवहार और जीवन-चर्या को प्रभावित करता है।
– तनाव, चिंता, अवसाद या भावनात्मक असंतुलन हमारी गुणवत्ता और निर्णय क्षमता को कम कर सकते हैं।
– भारत में युवाओं में बढ़ते तनाव, परीक्षा का दबाव, सोशल मीडिया की तुलना, साइबरबुलिंग और अकेलेपन की समस्या मानसिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय चिंता का विषय बनाते हैं।
WHO के अनुसार, दुनिया में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है, और भारत में यह आँकड़ा लगातार बढ़ रहा है। यह बताता है कि मानसिक स्वास्थ्य कोई “निजी समस्या” नहीं है, बल्कि एक सामाजिक चुनौती है जिसे हम सबको मिलकर हल करना होगा।
मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत क्यों ज़रूरी है?
आज भी कई लोग मानसिक स्वास्थ्य को कमजोरी मानते हैं।
लोग बात करने से डरते हैं, जज किए जाने का डर उन्हें सबसे पहले चुप करवाता है।
लेकिन सच यह है:
-बात करना ही healing की पहली सीढ़ी है
-बातचीत stigma को कम करती है
– समस्याओं को शुरुआती स्तर पर पहचानने में मदद मिलती है
-मदद लेने का रास्ता आसान होता है
इसी “बात शुरू करने” की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए ऐसे पवेलियन ज़रूरी हैं।
Tele MANAS का योगदान: बातचीत को आसान और सामान्य बनाने का प्रयास
पवेलियन में Tele Manas Delhi, NIMHANS Bengaluru और Central Health Education Bureau (CHEB) की सहभागिता ने इसे एक मजबूत संरचना दी।
Tele MANAS, जो भारत सरकार की मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन सेवा है, मानसिक स्वास्थ्य को अधिक सुलभ और सामान्य बनाती है:
– 24×7 विशेषज्ञ से बात करने की सुविधा
– डॉक्टरों, मनोवैज्ञानिकों और काउंसेलरों तक मुफ्त पहुँच
– युवाओं, महिलाओं, छात्रों, बुज़ुर्गों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आसान सहायता
– गोपनीय और सम्मानजनक वार्तालाप
यह सेवा उन लाखों लोगों के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करती है जो परिवार, समाज या स्कूल में खुलकर बात नहीं कर पाते।
युवाओं की बढ़ती चुनौतियाँ: साइबरबुलिंग से लेकर पहचान के संकट तक
IITF के इस सेक्शन में कई ऐसे मुद्दे उठे जो आज के युवाओं को गहराई से प्रभावित करते हैं —
– सोशल मीडिया प्रेशर
– साइबरबुलिंग
– तुलना की संस्कृति
– रिलेशनशिप स्ट्रेस
– करियर की दौड़
– डिजिटल ओवरलोड
– लगातार अकेलापन
विशेषज्ञों ने माना कि इन चुनौतियों के कारण भारत में युवा मानसिक स्वास्थ्य सबसे संवेदनशील स्थिति में है।
इन्हीं मुद्दों पर Healthy Knots के संस्थापक संतोष कुमार ने भी आगंतुकों से बातचीत की और कहा, “जब हम बच्चों और युवाओं से बात करते हैं, तो पता चलता है कि दर्द है, लेकिन मंच नहीं। Tele MANAS जैसी सेवाएँ इस संवाद को सामान्य बनाने में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।”
IITF 2025 का संदेश: मानसिक स्वास्थ्य अब हाशिये का विषय नहीं
मानसिक स्वास्थ्य पवेलियन की भारी भीड़ और सकारात्मक प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि लोग अब इस विषय को गंभीरता से समझना चाहते हैं।
टेक्नोलॉजी और व्यापार के बीच यह पवेलियन एक ऐसी जगह बना जहाँ लोगों ने अपने अनुभव साझा किए, सवाल पूछे और रास्ता ढूँढा।
IITF 2025 ने साबित किया कि भारत अब मानसिक स्वास्थ्य को सिर्फ “बीमारी” के रूप में नहीं देख रहा, बल्कि एक आवश्यक जीवन कौशल के रूप में स्वीकार कर रहा है।