चिंता (anxiety) एंग्जायटी लंबे समय तक अत्यधिक चिंतन (ओवर थिंकिंग, या भय) की भावना है। इसके साथ ही बेचैनी, थकान, चिड़चिड़ापन और नींद में बदलाव आदि भी एंग्जायटी में देखने को मिलता है। इसे कई भागों में बांटा गया है. सामान्यीकृत चिंता विकार (Generalized anxiety disorder), सामाजिक चिंता विकार (Social anxiety disorder), पैनिक डिसऑर्डर (Panic disorder), पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)
सामाजिक चिंता विकार (Social anxiety disorder)
इसमें व्यक्ति लोगो के बीच जाने में असहज महसूस करता है, स्कूल कॉलेज, शादी समारोह या अन्य भीड़ वाली जगह जाने से बचता है. वह स्वयं में आत्मविश्वास की कमी महसूस करता है. उसको लगता है कि लोग उसे जज करेंगे. कई बार व्यक्ति सोंचता है कि उसका पहनावा, उसका रूप, या उसकी आवाज लोगो को पसंद नहीं आएगी, सोशल एंग्जायटी किसी भी व्यक्ति के जीवन को कठिन बना देता है. ऐसे में वह लोगो से दूर रहना शुरू कर देता है. ऐसे लोगों के दोस्त बहुत कम होते है, या सोशल एंग्जायटी में लोग दोस्ती करने या रिश्ते बनाने से कतराते हैं.
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सामान्यीकृत चिंता विकार (Generalized anxiety disorder)
भारत में प्रति वर्ष 10 मिलियन से अधिक मामले सामान्यीकृत चिंता विकार (Generalized anxiety disorder) से सम्बंधित होते है।इसमें लोग अपने रोजाना के कामकाज के लिए परेशान रहते हैं, अपने से ही जूझते रहते हैं। इस एंग्जाइटी में लगातार चिंता, बेचैनी और एकाग्रता में परेशानी शामिल है।व्यक्ति आम तौर पर सिरदर्द मह्सूस करता है, और उसका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है.
पैनिक डिसऑर्डर (Panic disorder)
यह चिंता विकार (एंग्जायटी डिसऑर्डर) का चरम रूप है। यहां व्यक्ति किसी भी संभावित ट्रिगर के कारण, अत्यधिक भय महसूस कर सकता है, जिससे पैनिक अटैक हो सकता है। सीने में दर्द, पसीना आना, दिल की धड़कन में वृद्धि साँस लेने में दिक्कत आदि हो सकती है, कुछ पैनिक अटैक के लक्षणों की तुलना हार्ट अटैक से की जा सकती है।
पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)
पीटीएसडी सामान्यतः उन लोगो को होता है जिन्होंने अपने जीवन में कुछ दुखद अनुभवों या परिस्थितियों का सामना किया है. कई बार किसी हादसे के संपर्क में आना, किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु हो जाना, बचपन या किशोर अवस्था में शारीरिक, मानसिक या यौन शोषण का शिकार होना भी पीटीएसडी का कारण हो सकता है. इसमें व्यक्ति को पुरानी दुखद घटनाओं की यादें विचलित कर देती हैं.
एंग्जायटी डिसऑर्डर और सामान्य एंग्जायटी में अंतर
सामान्य एंग्जायटी
किसी असली समस्या या स्थिति के लिए परेशान या भयभीत होना नार्मल एंग्जायटी है.
यह किसी समस्या या विशेष स्थिति में होने वाला भय है.
यह भय या चिंता तभी तक रहती है जब तक कि कोई समस्या या कठिन स्थिति रहती है.
नार्मल एंग्जायटी (भय या चिंता) तभी महसूस होती है, जब कोई समस्या या कठिन स्थिति रहती है.
एंग्जायटी डिसऑर्डर
इसमें व्यक्ति काल्पनिक चिंता या भय महसूस करता है, वो ऐसी चीजों और स्थितियों के बारे में सोंच कर परेशान होता है, जो शायद कभी सच न हो. इसमें व्यक्ति का नियंत्रण नहीं रहता .
व्यक्ति बिना कारण ही भय या चिंता में रहता है.
यह लंबे समय तक रह सकती है, किसी स्थिति या समस्या का समाधान हो जाने के बाद भी व्यक्ति भयभीत रहता है।
उपचार
दैनिक जीवन में सकारत्मक बदलाव व हेल्दी हैबिट्स को अपना कर हम खुद को मानसिक और इमोशनल रूप से स्वस्थ रख सकते हैं. जैसे कि-
- भरपूर नींद
- अच्छा खाना
- व्यायाम करना, टहलना
- किसी खेल में शामिल होना, जैसे क्रिकेट, कब्बडी या फुटबॉल आदि
- किताबें पढ़ना
- पसंदीदा संगीत सुनना.
- अपने विचारों को डायरी में लिखना.
- नए दोस्त बनाना.
भावनाओं का सम्मान
अपनी भावनाओं (इमोशंस) को कभी मत दबाएं. ज्यादा समय तक भावनाओं को खुद में दबाने से स्ट्रेस, तनाव व अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है. मसलन अगर आप किसी पर गुस्सा हैं, या आपको किसी की कोई बात पसंद नहीं है तो आप उससे स्पस्ट और संयत रूप में अपना गुस्सा या अपनी बात जाहिर करें. इसी तरह प्यार, दुःख, ख़ुशी या भय जैसी भावनाओ को भी न तो नजरअंदाज करें और न ही दबाएं.
खुद की तुलना दूसरे से कभी मत करें. हर व्यक्ति की अपनी अलग क्षमता है, कोई व्यक्ति किसी एक चीज में माहिर होता है, तो अन्य व्यक्ति किसी दूसरी चीज में. इसलिए न तो खुद की तुलना किसी दूसरे से करें, न ही खुद को कमजोर महसूस करें. बल्कि आप अपना समय अपने स्किल्स को मजबूत करने में लगाए. नई चीजें सीखें.
सार
चिंता यानि एंग्जायटी से दुनिया भर में कई लोग संघर्ष कर रहे हैं. चिंता से बचने का बेहतर उपाय है, अपनी दिनचर्या में स्वस्थ व सकारात्मक बदलाव लाना. समय पर सोना, जागना, पौष्टिक खाना खाना, व्यायाम करना. ऐसे ही अच्छी आदतों को अपना आप खुद को मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकतें है. फिर भी यदि आपको को चिंता या अन्य कोई मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या है तो जरूर किसी मानसिक स्वस्थ चिकित्सक से संपर्क करें, या फिर हेल्पलाइन नंबर पर फ़ोन करें.